आज हम यह जनेगे की संस्कृत लौकिक साहित्य का प्रथम आदि काव्य ग्रंथ कौनसा है तथा उसे किसने लिख ओर कैसे ।और रामायण का परिचय Introduction to Ramayana
संस्कृत साहित्य में वह दिन बहुत खास था, जब महर्षि वाल्मीकि Maharishi Valmiki तमसा नदी पर स्नान करने गए और वहाँ उन्होंने देखा कि एक व्याध ने एक कौञ्च को मार डाला और जब क्रौञ्ची ने अपने प्रिय सखा को मरते हुए देखकर रोने लगी तो उसे सुनकर महर्षि वाल्मीकि Maharishi Valmiki इतने दुःखी तथा शोक में हो गए कि उनके मुख से अचानक छन्दोमयी वाणी फूट पड़ी
मा निषाद् प्रतिष्ठाम त्वमगम : शाश्वतीः समाः।
यत्क्रौञ्चमिथुनादेकमवधीः काममोहितम् ।
वाल्मीकि रामायण , बालकांड
हे निषाद !तुम्हें अनन्त वर्षों तक कोई प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी क्योंकि तुमने क्रीड़ा में रत क्रौञ्च पक्षी जोड़े में से एक को मार दिया । ऋषि स्वयं आश्चर्यचकित हो गये कि अचानक ही उनके मुख से वेद से भिन्न एक नए छंद का निर्माण हुआ है। उसी समय ब्रह्मा , जो सृष्टिकर्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं , वहाँ आए और महर्षि के सामने आकर बोले
श्लोक एव त्वया बद्धो नात्र कार्या विचारणा।
मच्छन्दादेव ते ब्रह्मन् प्रवृत्तेयं सरस्वती ।।
हे ब्राह्मण तुमने श्लोक छंद को ही जन्म दिया है ।इस संबंध में विचार विमर्श छोड़ दो ।मेरी इच्छा से ही यह वाणी तुमसे निकली है ।ब्रह्मा ने उन्हें रामायण की रचना करने का आदेश भी दिया और उन्हें त्रिकालदर्शी होने का आशीर्वाद भी दिया। त्रिकालदर्शी का अर्थ है जो तीनों कलो को देख सके
कुरु रामायणं कृत्स्नं श्लोकैर्बद्ध मनोहरम् ।
न ते वागनृता काव्ये काचिदत्र भविष्यति ।।
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