संस्कृत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई | How the Sanskrit word originated in Hindi/. शब्द बनाने में किसका महान योगदान रहा?Whose Big contribution was made in making the word?



संस्कृत शब्द की उत्पति कैसे हुई ?How the Sanskrit word originated संस्कृत शब्द बनाने में किसका महान योगदान रहा?Whose Big contribution was made in making the word? यह जानने योग्य विषय है।तो आज हम इस विषय को जानने का प्रयास करेंगे और मैने जितना भी जानकारी जुटा पाया हूं और जो भी मुझे आता है या पता है उसको आपके साथ साझा करुगा

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संस्कृत भाषा की उत्पति कैसे हुई ?How the Sanskrit word originated?

संस्कृत भाषा की उत्पति कैसे हुई ?How the Sanskrit word originated? फिर भी कुछ विद्वानों एवं पुस्तकों द्वारा यहां मत सामने आता है कि इस के दो पहलू हैं| पहला पहलू जो कि ब्रिटिश द्वारा लिखा गया तथा जी से ज्यादातर लोग पढ़ा करते हैं तथा दूसरा मत जो कि प्राचीन ग्रन्थों तथा किताबों में मिलता है

  1. ब्रिटिशर्स के द्वारा लिखी हुई हिस्ट्री के अनुसार पाणिनि  ने/ई.स. पूर्व 800/ संस्कृत व्याकरण लिखा है ।पर यहां ठीक नहीं है।पाणीनी से भी पहले वैयाकरण हुए हैं।सभी के नाम खुद अष्टाध्यायी में पाणिनि  ने दिया है. ब्रीटीशर्स ने भारत का ईतिहास सिर्फ 3500 वर्ष मे समेट लिया है, दुर्भाग्य वश वहीं इतिहास हम आज भी पढ रहे है। 
  1.  संस्कृत को देवताओं की बोली कहा जाता है। इस कारण संस्कृत को  देववाणी भी कहा जाता है। पर वैज्ञानिक नजरिए से देखें तो इतिहास बहुत पुराना है। वर्तमान समय में प्राप्त सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रन्थ ॠग्वेद है जो कम से कम ढाई हजार ईसापूर्व की रचना है।और ऋग्वेद veda विश्व का सबसे पुराना ग्रंथ है।संस्कृत का  पुराना नाम था गीर्वाण भाषा, और दुसरा नाम था भारती , कही जगा पे गीर्वाण भारती भी बोलते थे।  पाणिनि  से पूर्व एक प्रसिद्ध व्याकरण इंद्र का था। उसमें शब्दों का प्रातिकंठिक या प्रातिपदिक विचार किया गया था। उसी की परंपरा  पाणिनि  से पूर्व भारद्वाज आचार्य के व्याकरण में ली गई थी।  पाणिनि  ने उसपर विचार किया। बहुत सी पारिभाषिक संज्ञाएँ उन्होंने उससे ले लीं, जैसे सर्वनाम, अव्यय आदि और बहुत सी नई बनाई, जैसे टि, घु, भ आदि।  लेकिन जब पाणिनी द्वारा व्याकरण के नियम बनाए गए तो उसके बाद इसे संस्कार की हुई अर्थात संस्कृत नाम से पुकारा गया. इस आधार पर माना जाता है कि पाणिनी के पूर्व का साहित्य वैदिक संस्कृत vedic sanskrit होता है और बाद के साहित्य लौकिक संस्कृतTemporal sanskrit होता है


संस्कृत शब्द बनाने में किसका महान योगदान रहा?Whose Big contribution was made in making the word?

             
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 पाणिनि  का समय क्या था, इस विषय में कई मत हैं। कोई उन्हें 7वीं शती ई. पू., कोई 5वीं शती या चौथी शती ई. पू. का कहते हैं।संस्कृत भाषा के सबसे बड़े व्याकरण करता हुए हैं। इनका जन्म तत्कालीन उत्तर पश्चिम भारत के  गांधार में हुआ था। इन्होंने  व्याकरण से संबंधित पुस्तके लिखी जिनमें से प्रचलित पुस्तक का नाम अष्टाध्यायी है  जिसमें   इसमें आठ अध्याय हैं; प्रत्येक अध्याय में चार पाद हैं; प्रत्येक पाद में 38 से 220 तक सूत्र हैं। इस प्रकार अष्टाध्यायी में 8 अध्याय, बत्तीस पाद और सब मिलाकर लगभग 4000 से नीचे सूत्र हैं। संस्कृत भाषा को व्याकरण संपन्न बनाने में  पाणिनि  का महत्वपूर्ण स्थान माना जाता है।अष्टाध्यायी में उस समय के भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक, शिक्षा और राजनीतिक जीवन, दार्शनिक चिंतन, ख़ान-पान, रहन-सहन तथा संपूर्ण संस्कृत का आधार अष्टाध्यायी है।महर्षि पाणिनी भगवान शिव के भक्त थे।एक बार वे भगवान शिव की साधना में लिन थे, तभी भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होने अपना डमरु बजाया और हर बार उनके डमरु से शब्द निकले। महर्षि पाणिनी ने उन शब्दों को सुना, और उन शब्दों को अपने दिमाग में याद रखा और उस से संस्कृत लिपि Sanskrit script की रचना की। सूत्रों की कुल संख्या 14 है जो निम्नलिखित हैं:


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1. अइउण्।
2. ऋऌक्।
3. एओङ्।
4. ऐऔच्।
5. हयवरट्।
6. लण्।
7. ञमङणनम्।
8. झभञ्।
9. घढधष्।
10. जबगडदश्।
11. खफछठथचटतव्।
12. कपय्।
13. शषसर्।
14. हल्।
             
              यही 14 माहेश्वर सूत्र कहलाए। क्योंकि ये महर्षि पाणिनी को महेश्वर की कृपा से प्राप्त हुए थे। इनको प्रत्याहार सूत्र और शिवसूत्र भी कहते है। पाणिनी ने इन सूत्रो के आधार पर स्वरों एवं व्यंजनों को पहचान कर उन्हें अलग- अलग किया।  जैस अच् स्वरों को कहते हैं और हल् व्यंजनों को कहते है|आधुनिक भारतीय भाषाएँ जैसे हिन्दी,पंजाबी,नेपाली आदि संस्कृत से उत्पन्न हुई हैं। इन सभी भाषाओं में यूरोपीय बजारों की रोमन भाषा भी शामिल है।  हिंदू  धर्म तथा बौद्ध धर्म के सभी ग्रंथों को संस्कृत वैदिक भाषा में लिखा गया है। आज भी हिंदू धर्म के ज्यादातर पूजा तथा अर्चना  संस्कृत भाषा में ही मिलती है । बड़े-बड़े भारतीय विद्वानों का मानना था कि संस्कृत पूरे भारत को भाषाई एकता के सूत्र में बांध सकने वाली इकलौती भाषा हो सकती है।

sanskrit letters माहेश्वर सूत्र 





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