महाभारत का परिचय,Introduction to the Mahabharata/महाभारत की कथा,Story of Mahabharata/ महाभारत की तीन अवस्थाएँ,Three states of Mahabharata


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महाभारत



महाभारत का परिचय,Introduction to the Mahabharata


लौकिक संस्कृत में रामायण के बाद महाभारत Mahabharataका नाम आता है। रामायण को संस्कृत साहित्य का आदिकाव्य कहा जाता है, तथा महाभारत Mahabharata को इतिहास ग्रंथ । यह विश्वसाहित्य का विशाल ग्रंथ है । वर्तमान रूप में इसमें एक लाख श्लोक हैं ।महाभारत Mahabharata की मुख्य घटना कौरव पाण्डवों का युद्ध है।महाभारत Mahabharata का सर्वश्रेष्ठ भाग श्रीमद्भगवद्गीता है जिसमें श्रीकृष्ण इस जीवन का पूर्ण दर्शन बोध अर्जुन को करवाते हैं ।महाभारत Mahabharata कृष्ण द्वैपायन वेद व्यास द्वारा रचित है । ये सत्यवती व पराशर के पुत्र थे - 

व्यासः  सत्यवतीसुतः । 

तीन वर्ष तक सतत् अथक परिश्रम करके वेद व्यास ने महाभारत Mahabharata जैसे महान् ग्रंथ की रचना की 

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महर्षि वेदव्यास


त्रिभिर्वर्षे : सदोत्थायी कृष्णद्वैपायनो मुनिः । ' महाभारतमाख्यानं कृतवानिदमद्भुतम् ।।

यह महाभारत Mahabharata 18 पर्वो में विभाजित है । वे हैं आदि , सभा , वन , विराट , उद्योग भीष्ण , द्रोण , कर्ण , शल्य , सौप्तिक , स्त्री , शांति अनुशासन , अश्वमेध , आश्रमवासिक , मौसल , महाप्रस्थानिक और स्वर्गारोहण । इसके अतिरिक्त इसमें परिशिष्ट के रूप में हरिवंशपुराण जोड़ा गया है ।




महाभारत की कथा,Story of Mahabharata

आदि पर्व में चंद्रवंश का विस्तार वर्णन मिलता है तथा कौरवों और पांडवों की उत्पत्ति का भी वर्णन है । सभापर्व में द्यूतक्रीडा , वनपर्व में पाण्डवों के 12 वर्ष तक वन में रहने का , विराट पर्व में उनका सेवकों के रूप में मत्स्य नरेश विराट के यहाँ गुप्त रूप से रहने का , उद्योग पर्व में कृष्ण का दूत रूप में कौरवों के पास जाना और कौरवों द्वारा संधि प्रस्ताव न माने जाने पर दोनों पक्षों की तरफ से युद्ध की तैयारियों का वर्णन है । भीष्म पर्व नैतिक शिक्षाओं से भरपूर है । गीता भी इसी पर्व में है । द्रोण पर्व में अभिमन्यु वध का , द्रोणाचार्य के करु सेना के अधिपति होने का तथा उनके वध का वर्णन हे, कर्ण पर्व में कर्ण के सेनापति होने का तथा उसके वध का वर्णन है । शल्यपर्व में शल्य के सेनापति होने पर तथा उसके वध का वर्णन है । सौप्तिक पर्व में अश्वत्थामा द्वारा रात में सोते हुए पाण्डव - पुत्रों का धोखे से वध करने का वर्णन है । स्त्रीपर्व में स्त्रियों के विलाप का वर्णन है ।


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शांति और अनुशासन पर्वों में तिरो की शय्या पर लेटे हुए भीष्म युधिष्ठिर को राजधर्म , आपद् धर्म और मोक्षधर्म के बारे में उपदेश देते हैं । अश्वमेध यज्ञ का वर्णन है । आश्रमवासी पर्व में धृतराष्ट्र और गांधारी के वानप्रस्थ आश्रम में जाने का , मौसल पर्व में मूसल द्वारा यादवों के नाश का तथा व्याध का बाण लगने से श्रीकृष्ण की मृत्यु का वर्णन है । महाप्रस्थानिक पर्व में पाण्डवों द्वारा अर्जुन के पौत्र परीक्षित को राज्यभार सौंप कर स्वर्ग की ओर जाने का तथा स्वर्गारोहण पर्व में पाण्डवों द्वारा द्रौपदी सहित स्वर्ग प्राप्त कर लेने का वर्णन है । हरिवंश पुराण कृष्ण के वंशज , उनके जन्म व जीवन से संबंधित है ।



 महाभारत की तीन अवस्थाएँ,Three states of Mahabharata


महाभारत Mahabharata का अध्ययन करने से ज्ञात होता है कि प्रारंभ में इसका स्वरूप बहुत संक्षिप्त रहा होगा । कौरवों और पाण्डवों के युद्ध का वर्णन करना ही इसका मुख्य उद्देश्य रहा होगा । परंतु जैसे - जैसे समय बीतता गया , वैसे - वैसे मानव जीवन के सामाजिक , धार्मिक , राजनैतिक , नैतिक व आर्थिक पक्षों से संबधित विषयों का समावेश भी इसमें कर दिया गया । अन्य राजाओं ओर वीर गाथाओं से संबंधित आख्यान भी इसमें जुड़ गये । यह वीर काव्य से विश्वकोष बन गया और पञ्चम वेद की संज्ञा को प्राप्त कर गया । यह प्रक्रिया सैकड़ों वर्षों तक चलती रही होगी । पाश्चात्य तथा भारतीय विद्वानों का मत है कि वर्तमान रूप को प्राप्त करने से पूर्व महाभारत के तीन क्रमिक विकास हुए - जय, भारत ,महाभारत Mahabharataमहाभारत Mahabharata के इन तीनों अवस्थाओं के मंत्रों की संख्या का भी अलग अलग स्पष्ट उल्लेख किया गया है ।

महाभारत Mahabharata की प्रथम अवस्था में जब उसका नाम जय था उसमें 8800 श्लोक थे

महाभारत Mahabharata की दूसरी अवस्था में जब उसका नाम ' भारत ' था उसमें 24000 श्लोक थे


महाभारत Mahabharata की तीसरी अवस्था में उसमें एक लाख श्लोक होने का निर्देश किया गया है

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